शिक्षा
जे.
कृष्णमूर्ति
जे.
कृष्णमूर्ति परिचय
1.
जन्म- 12 मई 1895 मृत्यु- 17 फरवरी 1986
2.
जन्म स्थान- मदनपल्ली, चित्तूर, आंध्र प्रदेश।
3.
पूरा नाम- जिद्दू कृष्णमूर्ति।
4.
माता-पिता : संजीवम्मा एवं नारायणा जिद्दू।
5.
बचपन- दस वर्ष की अवस्था में ही माँ की मृत्यु। स्कूलों में शिक्षकों और घर पर
पिता के द्वारा बहुत पीटे गए। बचपन से ही विलक्षण मानसिक अनुभव।
6.
कृतियाँ- द फर्स्ट एंड लास्ट फ्रीडम,
द ऑनली रिवॉल्यूशन और कृष्णमूर्तिज नोट बुक आदि।
शिक्षा पाठ का सारांश
शिक्षा जे. कृष्णमूर्ति के द्वारा एक अद्भुत पाठ है
जिसमे लेखक कहते है कि शिक्षा मात्र व्यवसाय का साधन नहीं है वह मानव के जीवन के
उन्नयन का महत्वपूर्ण साधन है । उसके माध्यम से जीवन का सत्य तथा जीवन जीने की
प्रणाली का आभास होता है । वे कहते हैं चाहे शिक्षक हो या छात्र , शिक्षा का
उद्देश्य किसी को भी ज्ञात नहीं है । बस इतना पता है यह जीविका कमाने का साधन है ।
जीवन विलक्षण है , असीम है , अगाध है मानाकि शिक्षा जीवन लक्ष्य से भटक गयी है ।
पक्षी , फूल , वृक्ष , यह आकाश के सितारे , सरिताएँ आदि सब हमारा जीवन है । जीवन
समुदाय , जातियों और देश का पारस्परिक सतत् संघर्ष है ; क्योंकि जीवन ही धर्म है । जीवन मन की दबी ढंकी
भावनाएँ भी हैं - ईर्ष्या , महत्वाकांक्षाएँ , वासनाएँ , भय , सफलताएँ , चिंताएँ
आदि भी जीवन ही है । शिक्षा ही सबका अनावरण करती है । शिक्षा ही हमें प्रबुद्ध
बनाकर सम्पूर्ण जीवन प्रक्रिया के समझने में सहायक होती है । उनकी मान्यता है कि
व्यक्ति को बचपन से ही ऐसा वातावरण मिलना चाहिए जहाँ भय का लेशमात्र भी न हो , भय
व्यक्ति में कुंठाजगा देता है , उसकी महत्वाकांक्षाओं को दबा देता है । उनके
अनुसार मेधा वह शक्ति है जिसके आधार पर वातावरण के दबाव और भय के वातावरण में
स्वतन्त्रतापूर्वक सोच सकते हैं । यही सत्य और वास्तविकता की खोज का साधन भी है ।
भय सर्वत्र समाया है । यह दुनिया वकीलों , सैनिकों और सिपाहियों की ही है अत :
यहाँ प्रत्येक व्यक्ति किसी के विरोध में खड़ा है । वह किसी सुरक्षित स्थान पर
जाना चाहता है । वह संघर्ष भी कर रहा है , वह प्रतिष्ठा , सम्मान , शान्ति तथा
आराम पाना चाहता है । यह कार्य शिक्षा के माध्यम से ही सम्पन्न हो सकता है ।
शिक्षा Objective Questions
1.
कृष्णमूर्ति के पिता का क्या नाम था?
(a) नारायण जिदू
(b)
श्रीराम
जाज्
(c)
हरिनारायण
राम
(d)
प्रकाश
देव
2.
कृष्णमूर्ति की माता की मृत्यु जब हुई तब
उनकी अवस्था क्या थी ?
(a) 10 वर्ष
(b)
12 वर्ष
(c)
11 वर्ष
(d)
14 वर्ष
3.
शिक्षा का उद्देश्य क्या है ?
(a) सम्पूर्ण उन्नयन
(b)
शिष्टाचारी
बनना
(c)
स्वतन्त्रता
पाना
(d) जीविका
कामना
4.
मेधा और किसका परस्पर बैर है ?
(a)
आदर्शता
(b) भय
(c)
परम्परा
(d)
क्रान्ति
5.
जे. कृष्णमूर्ति किस रूप में देखे जाते हैं
?
(a)
महामनीषी
(b)
तपस्वी
(c) दूसरे बुद्ध
(d)
सुकरात
6. मेधा कहाँ
नहीं हो सकती है ?
(a) जहाँ स्वतंत्रता हो
(b)
जहाँ
भय हो
(c)
जहाँ
अनुशासनहीनता हो
(d) इनमें
से कोई नहीं
7.
लेखक के अनुसार कुछ परीक्षाएँ उत्तीर्ण कर
लेने से कहीं ज्यादा कठिन क्या है ?
(a)
जीवन
में उन्नति करना
(b)
जीवन
खुशी पूर्वक व्यतीत करना
(c) जीवन को समझना
(d)iइनमे कोई नहीं
8.
लेखक के अनुसार सच्ची शिक्षा हमें क्या
देती है ?
(a)
रोजगार
(b) प्रसिद्धि
(c) व्यापकता
(d)
इनमें
कोई नहीं
9.
बचपन में किस वातावरण में रहना आवश्यक है ?
(a) स्वतंत्र
(b)
अनुशासित
(c)
दायित्वपूर्ण
(d)
इनमें
से कोई नहीं
10. जिंदगी का
अर्थ क्या है ?
(a)
धन
कमाना
(b) प्रसिद्धि
प्राप्तकरना
(c) सत्य की खोज करना
(d)
सत्य
प्राप्त करना
11. जे ०
कृष्णमूर्ति के अनुसार मानव के विचारों को , उसके सम्बन्धों तथा उसके प्रेम को कौन
नष्ट कर देता है?
(a)
उत्साह
(b)
नाराजगी
(c)
खुशी
(d) भय
12. जे .
कृष्णमूर्ति के अनुसार , सम्पूर्ण विश्व किस ओर अग्रसर है ?
(a)
विकास
की ओर
(b) नाश की ओर
(c)
प्रतिस्पर्धा
की ओर
(d)
इनमें
से कोई नहीं
13. साम्यवादी
किससे लड़ रहा है ?
(a)
समाजवादी
से
(b) पूँजीपति से
(c)
सत्तावादी
से
(d) इनमें
से कोई नहीं
14. जे .
कृष्णमूर्ति का जन्म कब हुआ था ?
(a)1895
(b)1892
(c)1989
(d)
1902
15. जे .
कृष्णमूर्ति का पूरा नाम था
(a)
जयंत
कृष्णमूर्ति
(b) जिद्दू कृष्णमूर्ति
(c)
जीवंत
कृष्णमूर्ति
(d)
जनेश
कृष्णमूर्ति
16. ' द फर्स्ट
एंड लास्ट फ्रीडम ' किसकी कृति है ?
(a)
अब्दुल
कलाम आजाद
(b)
पट्टाभि
सीतारमैया
(c) जे . कृष्णमूर्ति
(d)
जाबिर
हुसैन
17. लीडबेटर
किनमें ' विश्व शिक्षक ' का रूप देखते थे ?
(a)
राधाकृष्णन
में
(b)
राजेन्द्र
प्रसाद में
(c)
गाँधी
में
(d) जे . कृष्णमूर्ति में
18. जे .
कृष्णमूर्ति के संबंध में कौन - सा तथ्य सही है ?
(a)
वे
प्रायः लिखते थे
(b)
वे
उपन्यासकार थे
(c)
वे
प्रसिद्ध नाटककार थे ।
(d) वे प्रायः बोलते थे ,
संभाषण करते थे
19. शिक्षा ' पाठ
के रचयिता कौन है ?
(a)
महात्मा
गाँधी
(b)
विनोबा
भावे
(c)
जगदीशचन्द्र
माथुर
(d) जे . कृष्णमूर्ति
20. जे .
कृष्णमूर्ति का जन्म किस राज्य में हुआ था ?
(a) आंध्र प्रदेश में
(b)
उत्तर
प्रदेश में
(c)
राजस्थान
में
(d)
उड़ीसा
में
21. जे .
कृष्णमूर्ति की इनमें से कौन सी रचना है ?
(a)
रोज
(b)
बातचीत
(c)
सम्पूर्ण
काति
(d) शिक्षा
22.
जे . कृष्णमूर्ति की ' शिक्षा ' कृति क्या
है ?
(a)संभाषण
(b)निबंध
(c)संस्मरण
(d)एकांकी
शिक्षा Short Question Answer
1.
शिक्षा का क्या अर्थ है एवं इसके क्या
कार्य हैं ? स्पष्ट करें ।
उत्तर
- शिक्षा जीवन सत्य से परिचित कराती है । साथ ही समस्त जीवन प्रक्रिया को समझने
में हमारी सहायता करती है । हमारा जीवन अद्भुत है यहाँ पक्षी , फूल , वृक्ष , आकाश
, तारे
सभी
जीवन हैं । जीवन के कई रूप हैं । यह अमीर भी है , गरीब भी है। ईर्ष्या , महत्वाकांक्षा
, वासनाएँ , भय , सफलताएँ तथा चिन्ताएँ सब जीवन के ही अंग हैं । हम जीवन से भय
खाते हैं चिन्तित भी रहते हैं । इन सब स्थितियों का निराकरण शिक्षा द्वारा ही
सम्भव है।। शिक्षा ही समाज के ढाँचे के अनुकूल बनाने में आपकी सहायता करती है । यह
व्यक्ति को स्वतन्त्र बना देती है । सामाजिक समस्याओं का निराकरण भी शिक्षा का ही
कार्य है ।
2.
जीवन क्या है ? इसका परिचय लेखक ने किस रूप
में दिया है ?
उत्तर
- लेखक कहते है यह सारी सृष्टि जीवन है । जीवन बड़ा अद्भुत है , यह असीम और अगाध
है । यह विशाल साम्राज्य है जहाँ हम मानव कर्म करते हैं । यह जीवन विलक्षण है । ये
पक्षी , ये फूल , ये वैभवशाली वृक्ष , यह आसमान , ये सितारे , ये सरिताएँ , ये
मत्स्य यह सब हमारा जीवन हैं । जीवन ध्यान है , जीवन धर्म है , जीवन गूढ़ है ,
जीवन मन की प्रच्छन्नवस्तुएँ है - ईर्ष्याएँ , महत्त्वाकांक्षाएँ , वासनाएँ , भय ,
सफलताएँ एवं चिंताएँ । केवल इतना ही नहीं बल्कि , इससे कहीं ज्यादा है । लेकिन
बहुत कम अपने आपको जीवन के केवल एक छोटे - से कोने को समझने के लिए ही तैयार करते
हैं । इस जीवन को समझने में शिक्षा हमारी मदद करती है ।
3.
'बचपन से ही आपका ऐसे वातावरण में रहना
अत्यन्त आवश्यक है जो स्वतन्त्रतापूर्ण हो।' क्यों ?
उत्तर
- परतन्त्रता भय बढ़ाती है , भय मन में ग्रन्थि बनकर समा जाता है । यह स्थिति
व्यक्ति में महत्वाकांक्षाओं को दबा देती है । होता यह भी है कि कतिपय व्यक्ति
ज्यों - ज्यों बड़े होते जाते हैं त्यों - त्यों भयभीत भी होते जाते हैं । प्राय :
व्यक्ति जीवन से भयभीत रहता है । अनेक कारण हैं - नौकरी एक समस्या है उसके छूटने
का भय है , परम्पराएँ डराती हैं । लोग क्या कहेंगे । मृत्यु का भय तो सताता ही
रहता है । अत : अधिकांश व्यक्ति किसी - न - किसी रूप में भयग्रस्त हैं । जहाँ भय
है वहीं मेधा का क्षय है । इसलिए व्यक्ति को बाल्यकाल से ही ऐसा वातावरण मिलना
चाहिए जहाँ भय का लैश भी न हो , स्वतन्त्रता हो , मनचाहे कार्य करने में छूट हो ।
एक ऐसी स्वतन्त्रता जहाँ आप जीवन की सम्पूर्ण प्रक्रिया समझ सकें ।
4.
जहाँ भय है वहाँ मेधा नहीं हो सकती । क्यों
?
उत्तर
- भय हमारी समाज शक्तियों को कुंठित कर देता है फिर चाहे मेधा हो , या अन्य कोई
शक्ति । जो व्यक्ति बचपन से ही ऐसे वातावरण में रहते हैं जहाँ भय का लेश नहीं होता
उनका विकास चहुँमुखी तो होता ही है उनकी मेधा शक्ति भी बड़ी प्रबल होती है । बालक
जब चारों ओर भय देखते हैं , हमारा विकास तो हो जाता है पर हमारी मेधा शक्ति कुंठित
हो जाती है । जीवन में हजारों भय है जीविका का भय , परम्पराओं का भय ( कोई क्या
कहेगा ) पड़ोसी , पत्नी का भय , अधिकांश व्यक्ति किसी न किसी रूप के भय में डूबे
रहते हैं । उनकी मेधा शक्ति कुंठित हो जाती है । भयग्रस्त व्यक्ति क्या सोच सकेगा
? फिर सत्य क्या खोजेगा ? उसके पास सोचने का अवकाश ही नहीं होगा और न ही शक्ति ही
होगी । उसकी मेधा भी पूर्ण विकसित नहीं हो पाती है । भय हमारे सामने पग - पग पर
अवरोध उपस्थित कर देता है और सारी महत्वाकांक्षाओं को दबा देता है। चिन्ता का जन्म
भी भय से ही होता है और चिन्ता व्यक्ति को जीवित ही जला देती है ।
5.
जीवन में विद्रोह का क्या स्थान है ?
उत्तर
- हमारा जीवन बड़ा ही कुरूप बन चुका है ।जब कोई व्यक्ति सचमुच जीवन के इस ऐश्वर्य
की , इसकी अनन्त गहराई और इसके अद्भुत सौन्दर्य की धन्यता महसूस कर लेता है तो
जीवन के प्रति तनिक भी कसकसाहट का भाव आता है तो वह विद्रोह कर बैठता है ,यह
विद्रोह संगठित धर्म के विरुद्ध भी हो सकता है , परम्परा के खिलाफ भी हो सकता है और
उस सड़े ' समाज के खिलाफ भी ' । तभी मानव बनकर सत्य की खोज करना सम्भव हो सकेगा
।जिन्दगी का अर्थ है अपने लिए सत्य की खोज और यह तभी सम्भव है जब स्वतन्त्रता हो।
भय से मुक्त होने के लिए व्यक्ति को विद्रोह करना पड़ता है अत : जीवन में विद्रोह
का महत्वपूर्ण स्थान है ।
6.
व्याख्या करें यहाँ प्रत्येक मनुष्य किसी न
किसी के विरोध में खड़ा है और किसी सुरक्षित स्थान पर पहुँचने के लिए प्रतिष्ठा ,
सम्मान , शक्ति व आराम के लिये निरन्तर संघर्ष कर रहा है ।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ जे . कृष्णमूर्ति द्वारा रचित निबन्ध ' शिक्षा ' से उद्धृत हैं
। यहाँ एक महत्वपूर्ण तथ्य का उद्घाटन किया गया है कि आज का समाज असंगठित है ,
परस्पर मनमुटाव से ग्रस्त है और प्राय : व्यक्ति एक - दूसरे के विपरीत खड़ा है ।
व्याख्या
- समाज टुकड़ों में बँटा , जातियों में बँटा , वर्गों में बँटा , सम्प्रदायों में
बँटा और प्रत्येक वर्ग एक दूसरे वर्ग के प्रति विद्रोह की भावना ही समेटे रहता है
। शोषण शोषित का संघर्ष तो स्वाभाविक है पर एक ही धर्म के मानने वालों का परस्पर
संघर्ष कहाँ तक उचित है । एक दूसरी स्थिति भी है । वह है आगे बढ़ने की लालसा में
भले ही इसके लिये दूसरे को कुचलना पड़े । यह मानव मानव की नियति है , समाज की
नियति है और राष्ट्र की भी है । एक राष्ट्र दूसरे के प्रति ऐसा ही भाव रखता है ।
7.
नूतन विश्व का निर्माण कैसे हो सकता है ?
उत्तर
- स्वतन्त्रता युक्त वातावरण , उन्मुक्तता और भय मुक्तता का वातावरण जब बनेगा
व्यक्ति के पास सत्य खोजने की शक्ति आ सकेगी और यह सत्य ही नूतन विश्व निर्माण में
सहायक होगा । यहाँ संघर्ष है , आदमी एक - दूसरे के विपरीत खड़ा है ये स्थितियाँ
भौतिक विकास में ही बाधक हैं । आध्यात्मिक , मानसिक विकास तो उन हालातों में होना
सहज सम्भव है ही नहीं , फिर न तो विकास सम्भव है और न ही नूतन विश्व का निर्माण ही
।

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