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गाँव का घर कविता // Gaon ka ghar by Gyanendrapati // Bihar Board Class 12th Hindi

 

गाँव का घर

ज्ञानेंद्रपति

परिचय

ü  जन्म – 1 जनवरी 1950जन्म स्थान पथरगामा, गोड्डा, झारखंड

ü  निवास स्थान- वाराणसी, उत्तर प्रदेश

ü  माता- सरला देवी

ü  पिता- देवेंद्र प्रसाद चौबे

ü  शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल मे ; बी०ए० और एम०ए० अंग्रेजी विषय में पटना विश्वविद्यालय से। फिर हिन्दी मे भी एम०ए० बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से

ü  वृत्ति- बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित होकर कारा अधिक्षक के रूप मे कार्य करते हुए कैदियों के लिए अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम।



गाँव का घर कविता

गाँव के घर के
अंतःपुर की वह चौखट
टिकुली साटने के लिए सहजन के पेड़ से छुड़ाई गई गोंद का गेह वह
वह सीमा

जिसके भीतर आने से पहले खाँस कर आना पड़ता था बुजुर्गों को
खड़ाऊँ खटकानी पड़ती थी खबरदार की
और प्रायः तो उसके उधर ही रुकना पड़ता था
एक अदृश्य पर्दे के पार से पुकारना पड़ता था
किसी को
, बगैर नाम लिए
जिसकी तर्जनी की नोक धारण किए रहती थी सारे काम
, सहज,
शख के चिह्न की तरह
गाँव के घर की
उस चौखट के बगल में
गेरू-लिपी भीत पर
दूध डूबे अँगूठे के छापे
उठौना दूध लाने वाले बूढ़े ग्वाल दादा के-
हमारे बचपन के भाल पर दुग्ध-तिलक-
महीने के अंत में गिने जाते एक-एक कर

गाँव का वह घर
अपना गाँव खो चुका है
पंचायती राज में जैसे खो गए पंच परमेश्वर
बिजली-बत्ती आ गई कब की
, बनी रहने से अधिक गई रहनेवाली
अबके बिटौआ के दहेज में टी. वी. भी
लालटेन हैं अब भी
, दिन-भर आलों में कैलेंडरों से ढँकी-
रात उजाले से अधिक अँधेरा उगलतीं
अँधेरे में छोड़ दिए जाने के भाव से भरतीं
जबकि चकाचौंध रोशनी में मदमस्त आर्केस्ट्रा बज रहा है कहीं, बहुत दूर, पट भिड्काए
कि आवाज भी नहीं आती यहाँ तक
, न आवाज की रोशनी,
न रोशनी की आवाज
होरी-चैती बिरहा-आल्हा गूँगे
लोकगीतों की जन्मभूमि में भटकता है एक शोकगीत अनगाया अनसुना

आकाश और अँधेरे को काटते
दस कोस दूर शहर से आने वाला सर्कस का प्रकाश-बुलौआ
तो कब का मर चुका है

कि जैसे गिर गया हो गजदंतों को गँवाकर कोई हाथी
रेते गए उन दाँतों की जरा-सी धवल धूल पर
छीज रहे जंगल में
,
लीलने वाले मुँह खोले, शहर में बुलाते हैं बस
अदालतों और अस्पतालों के फैले फैले भी रुंधते-गंधाते अमित्र परिसर
कि जिन बुलौओं से
गाँव के घर की रीढ़ झुरझुराती है

गाँव का घर सारांश

गांव का घर शीर्षक कविता के रचयिता आधुनिक हिंदी के कवि ज्ञानेन्द्रपति हैं। इस कविता में कवी ग्रामीण परिवेश में आये बदलाव जो सकारात्मक नहीं नकारात्मक है को बहुत अच्छे ढंग से वर्णन किया है। कवी कहते है कि गांव का घर बाँ-बल्ले और मिट्टी से बना हुआ होता है। उस घर से हम जुड़े रहते हैं। घर के अंदर आने से पहले चौखट पर ही बड़े-बूढ़े खांसकर आवाज देते थे। बुर्जुगों के खड़ाऊँ की आवाज से सभी सटक जाते थे। चौखट से पहले ही ये अभिभावक खड़े रहते थे वहां कोई पर्दा नहीं था एक अदृश्य परदा ही परदे का काम करता था वे किसी का नाम लिए बिना ही पुकारते थे अभिभवक की अंगुली के इशारे पर ही सारघर नाचता था ,सरे काम-काज होते है शंख के चिन्ह की तरह गांव के घर के चौखट होते थे चौखट के बगल में गेरू से पुती हुई दीवाल होती थी दूधवाले ने कितने दिन दूध दिय उसके निशान लगा दिय जाते है बचपन में कवि ने यह दृश्य देखा था। गांव का वह घर अब अपनी शक्त बदल चूका है। अब लगता है वह अपना गांव है ही नहीं पचायती राज का शासन आया। पांचों की ईमानदारी अब नहीं रहीं। वे पांच परमेश्वर नहीं रहे। गांव की घरों में बिजली बत्ती लगा गयी है बल्ब की रौशनी रहने की जगह बुझी ही रहती है बेटों के दहेज में दूरदर्शन की मांग करते है। लालटेन खूंटी पर लटकी दिखाई देती है। रातें अब उजाले अधिक अँधेरा ही उगलती है। कहीं बहुत दूर चकाचौंध रोशनी में आर्केस्ट्रा वाद्य यंत्र बजते दिखी सुनाई पड़ते हैं। आवाज उन वाघ यंत्रों की टिक से सुनाई नहीं पड़ती उनकी रौशनी भी झिल-मिलती दिखाई पड़ती है। लोकगीत, विरहा, होरी चैता ,आल्हा अब नहीं सुनाई पड़ते।

सर्कस का प्रकाश जो गांव वालों को लव रात्रि में भेजता था अब नहीं  पड़ता है लगता है सर्कस कब का मर चूका है ऐसा लगता है जैसे हाथियों के दाँत गिर गए हों। सर्कस कब का मर चूका है। ऐसा लगता है जैसे हाथियों के दन्त गिर गए हों।एक अनगाया शोर गीत कवि की जन्म भूमि में भटकता है । सब कुछ बदल गया । अब शहर खींचता है अदालतें , अस्पताल बुलाते हैं और गाँव के घर की रीढ़ झुरझुराती है ।

गाँव का घर Objective Question

1.       ज्ञानेंद्रपति किस काल के कवि है ? 
( a) भक्तिकाल 
(b) रीतिकाल 
(c) आधुनिक काल 
(d) प्रेमचन्द काल

2.       गाँव के घर के भीतर आने से पहले किसे खाँस कर आना पड़ता? 
(a) युवकों को 
(b) बुजुर्गों को 
(c) महिलाओं को 
(d) इनमें से कोई नहीं

3.       गाँव में अब किसकी धुनें सुनाई नहीं पड़ती है ? 
(a) फिल्मी गीत की
(b)
शोक गीत की 
(c) लोकगीत
(d) इनमें से कोई नहीं

4.       ज्ञानेंद्रपति बी ० ए ० तथा अंग्रेजी में एम ० ए ० किस विश्वविद्यालय से किए ? 
(a) बिहार विश्वविद्यालय , मुजफ्फरपुर 
(b) मगध विश्वविद्यालय , बोधगया 
(c) पटना विश्वविद्यालय, पटना 
(d) इलाहाबाद विश्वविद्यालय , इलाहाबाद 

5.       ज्ञानेंद्रपति ने हिन्दी में एम ० ए ० किस विश्वविद्यालय से किया ? 
(a) दिल्ली विश्वविद्यालय , दिल्ली 
(b) कानपुर विश्वविद्यालय , कानपुर 
(c) पटना विश्वविद्यालय , पटना 
(d) बिहार विश्वविद्यालय , मुजफ्फपुर

6.       टी.वी. किसके दहेज में आया था ? 
(a) कलुआ 
(b) बिटौआ
(c) हरिया 
(d) बिन्दा 

7.       पंचायती राज में क्या खो गया है ? 
(a) ईमान 
(b) न्याय 
(c) पंच परमेश्वर
(d)
भाईचारा 

8.       कवि के बचपन में भाल पर क्या लगा था ? 
(a) चंदन 
(b) टीली कुंकुम
(c) गौरीवन तिलक 
(d) दुग्ध तिलक

9.       ज्ञानेन्द्रपति ने प्रथम बार किस विषय में उत्तीर्ण किया था ? 
(a) संस्कृत 
(b) फारसी 
(c) भूगोल
(d)
अंग्रेजी

10.    ' पहल सम्मान ' ज्ञानेन्द्रपति को कब दिया गया था? 
(a) 2005 
(b) 2006 
(c) 2007
(d) 2008

11.    संशयात्मा ' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार ज्ञानेन्द्रपति को कब मिला था ? 
(a) 2004 
(b) 2005 
(c) 2006 
(d) 2007

12.    ज्ञानेन्द्रपति किस प्रशासनिक पद पर थे ? 
(a) जिलाधिकारी
(b)
पुलिस अधिकारी 
(c) कारा अधिकारी
(d)
कहीं नहीं 

13.    कवि का निवास किस नगर में था ? 
(a) प्रयाग
(b)
लखनऊ 
(c) वाराणसी 
(d) कानपुर 

14.    इनमें से कौन-सा  ग्रंथ ज्ञानेन्द्रपति का है ? 
(a) बवाल 
(b) आमने-सामने 
(c) आँख हाथ बनते हुए 
(d) परीक्षा 

15.    ज्ञानेन्द्रपति की पुस्तकें कौन - कौन हैं ?
(a) एकचक्रा नगरी ( काव्य नाटक ) 
(b) पढ़ते - गढ़ते ( कथेतर गद्य ) 
(c) संशयात्मा ( कविता )
(d)
इनमें से सभी 

16.    गाँव का घर ' कविता ज्ञानेन्द्रपति के किस संग्रह से ली गयी है? 
(a) शब्द लिखने के लिए ही यह कागज बना है 
(b) संशयात्मा 
(c) आँख हाथ बनते हुए 
(d) गंगातट

17.    ज्ञानेन्द्रपति का जन्म कब हुआ था ? 
(a) 04 जनवरी , 1953
(b) 01
जनवरी , 1950 
(c) 02 जनवरी , 1951
(d) 03
जनवरी , 1952

18.    कवि ज्ञानेन्द्रपति का जन्म कहाँ हुआ था ? 
(a) स्वर्णगामा , गोंडा , छत्तीसगढ़
(b)
मिट्टीगामा , गोंडा , झारखंड 
(c) पथरगामा , गोड्डा , झारखंड 
(d) लौहगामा , गोंडा , झारखंड

19.    कवि ज्ञानेन्द्रपति के माता - पिता का नाम बताएँ ।
(a) मृदुभाषिणी देवी एवं कर्मेन्द्र प्रसाद चौबे 
(b) कर्कशा देवी एवं भावेन्द्र प्रसाद चौबे 
(c) क्लिष्टा देवी एवं धर्मेन्द्र प्रसाद चौबे 
(d) सरला देवी एवं देवेन्द्र प्रसाद चौबे

20.    कि आवाज भी नहीं आती यहाँ तक न आवाज की रोशनी की आवाज ।किस पाठ से लिया गया है?
(a) अधिनायक
(b)
जन - जन का चेहरा एक 
(c) गाँव का घर
(d)
हार - जीत

21.    कि जैसे गिर गया हो गजदंतों को गवाँकर कोई हाथी । " किस पाठ से लिया गस्य है?
(a) अधिनायक
(b)
जन - जन का चेहरा एक 
(c) हार – जीत
(d)गाँव का घर

22.    ' गाँव का घर ' कविता के कवि हैं 
(a) अशोक वाजपेयी
(b)
ज्ञानेंद्रपति 
(c) रघुवीर सहाय 
(d) शमशेर बहादुर सिंह

 

गाँव का घर Short Question Answer

1.       कवि की स्मृति में घर का चौखट ' इतना जीवित क्यों है? 
उत्तर - कवि जहाँ पला है , वहाँ से उसको लगाव है , साथ ही वह वातावरण उसकी चेतना में समाया हुआ है और वह घर उसकी जन्मभूमि का एक महत्वपूर्ण अंग है । यही कारण है कि यह चौखट इतना जीवित है ।  ग्वाला दादा , बुजुर्ग का खड़ाऊ खटकाता एक अदृश्य पर्दे की दीवार से पुकारता किसी का वह बिना नाम लिये कितना कोमल एहसास है ? क्या यह भुलाया जा सकता है । यही नहीं और भी ढेर सारी कोमल स्मृतियाँ उसकी स्मृति से उलझ गयी हैं , कारण उसका लगाव ही है , वह आज भी जीवित है , शहर की चकाचौंध उसका रंग फीका नहीं कर पायी है। 

2.       ' पंच परमेश्वर ' के खो जाने को लेकर कवि चिन्तित क्यों है ?
उत्तर - पूँजी बढ़ी , रोशनी आयी , चकाचौंध फैली , टी . वी . आया और गाँव की संस्कृति जो मूल्य आधारित थी , उस चकाचौंध में खो गयी । पंच में परमेश्वर का वास माना जाता था , उसका न्याय ईश्वरीय न्याय होता था पर अब युग मूल्यों का नहीं रहा - साम, दाम , दण्ड , भेद की संस्कृति उग आयी है । न्याय नहीं अन्याय महत्वपूर्ण हो गया है , मान्यताएँ , परम्पराएँ नहीं स्वार्थ उग आये हैं , जिनके आलोक से जीवन मूल्य घुट रहे हैं , फिर पंच परमेश्वर कहाँ रहा ? वह तो भ्रष्टाचारी बन गया , बिक गया , बदल गया , डर गया । भला परमेश्वर किसी से डरता है । 

3.       ' कि आवाज भी नहीं आती यहाँ तक , न आवाज की रोशनी न रोशनी की आवाज ' यह आवाज क्यों नहीं आती ? 
उत्तर - चकाचौंध रोशनी में मदमस्त आर्केस्ट्रा बज रहा है , पर कहीं भी हमारे लोकगीत चैता , होली , बिरहा , आल्हा नहीं सुनायी देते- वे ' गूंगे ' हो गये हैं । यह बदलाव जीवन की आस्थाओं पर चोट का प्रतीक है , मानसिक भ्रम की स्थिति है जो चकाचौंध से आँखें चुंधिया रही हैं और वास्तविक जीवन का रस चुकता हुआ , किसी को नहीं दिखायी देता । 

4.       आवाज की रोशनी या रोशनी की आवाज का क्या अर्थ है ? 
उत्तर - आवाज में विलक्षण शक्ति होती है , यदि वह सात्विक अन्त : करण से फूटती है तो प्रकाश फैलाती है , रोशनी बाँटती है , बदलाव लाती है , अंधकार से उजाले की ओर ले जाती है । रोशनी की आवाज का तात्पर्य है , अंधकार मिटाने , अन्याय मिटाने , अत्याचार ढहाने वाली रोशनी जो सस्वर चीखती है - भगाओ अंधकार को , मिटाओ मिथ्या अहम् को और इस अराजकता को । 

5.       कविता में किस शोक गीत की चर्चा है ? 
उत्तर - गीत गाया जाता है पर यह शोक गीत अनगाया अनसुना है क्योंकि अब न होरी गायी जाती है , चैता , बिरहा , आल्हा भी गूंगे हो गये हैं , यह जन्मभूमि लोकगीतों की है , पर यहाँ अब भटकता है एक मौन शोक गीत अर्थात् उनके साथ जो ताजगी , उल्लास , उन्माद और मस्ती थी , वह अब सब कहाँ , चारों ओर एक अनचाही उदासी , अब यहाँ गम पसरा हुआ है । मानो कोई शोक गीत गा रहा है , पर वह मौन गीत है ।

6.       सर्कस का प्रकाश - बुलौआ किन कारणों से मरा होगा? 
उत्तर - सर्कस से एक सर्चलाइट फेंकी जाती है , जो दूर तक दिखायी देती है । यह एक प्रकार का बुलबुला है , आमंत्रण है , सूचना है कि सर्कस यहाँ है , आओ देखो , मौज उड़ाओ । अब सर्कस बीती हो गया , उसकी रसात्मकता अब भी मौजूद है , पर उसके स्थान पर अब आधुनिक मनोरंजन के अनेक साधन उभर आये हैं , सिनेमाहै , टी . वी . है , मदमस्त आर्केस्ट्रा है अतः सर्कस का प्रकाश जो बुलौवा भेजता था , आज भी भेजता है , पर वह अब इन साधनों के सामने प्रभावहीन हो गया है । कवि के अनुसार यह प्रकाश बुलौवा तो कबका मर चुका  हैं |


 

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