पुत्र वियोग
सुभद्रा कुमारी चौहान
परिचय
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जीवनकाल : 16 अगस्त 1904-15 फरवरी
1948 (मृत्यु बसंत पंचमी के दिन
नागपुर से जबलपुर वापसी में कार दुर्घटना में हुई)
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जन्मस्थान : निहालपुर, इलाहाबाद
उत्तरप्रदेश
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माता-पिता : धिराज कुँवर और ठाकुर
रामनाथ सिंह
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पति- ठाकुर लक्ष्मण सिंह
चौहान, खंडवा, मध्य प्रदेश निवासी से 1919 में विवाह
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शिक्षा : क्रास्थवेट गर्ल्स स्कूल, इलाहाबाद
में प्रारम्भिक शिक्षा। इसी स्कूल में प्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा सुभद्रा कुमारी
चौहान के साथ पढ़ी थी।
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9 वीं तक पढ़ाई के बाद असहयोग
आंदोलन में भाग
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कर्म क्षेत्र : समाज सेवा, राजनीति, स्वाधीनता
संघर्ष में सक्रिय भागीदारी, अनेक बार कारावास, मध्य
प्रदेश में काँग्रेस पार्टी की एम. एल. ए.।
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कृतियाँ : मुकुल (कविता संग्रह,1930)
त्रिधारा, बिखरे मोत्ती (कहानी संग्रह), सभा
के खेल (कहानी संग्रह)
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पुरस्कार :- मुकुल पर 1930 में
हिन्दी साहित्य सम्मेलन का ‘सेकसरिया पुरस्कार’
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प्रस्तुत कविता मुकुल से ली गई
है |
पुत्र-वियोग भावार्थ
आज दिशाएँ भी हँसती हैं है
उल्लास विश्व पर छाया,
मेरा खोया हुआ खिलौना
अब तक मेरे पास न आया ।
भावार्थ- पुत्र के निधन के बाद
माँ के हृदय में उठने वाली शोक भावनाओं को कवयित्री ने अभिव्यक्ति दी है । सारे
संसार में उल्लास की लहर दौड़ रही है । सारी दिशाएँ हँसती नजर आती हैं । लेकिन
मृत्यु के बाद कवयित्री माँ का खिलौना उसका पुत्र वापस नहीं आया ।
शीत न लग जाए, इस भय से
नहीं गोद से जिसे उतारा
छोड़ काम दौड़ कर आई
'मा' कहकर जिस समय पुकारा ।
भावार्थ- इस छंद में एक मां का
व्यक्तिगत भय और चिंता का अभिव्यक्ति है, जब वह अपने बच्चे को
सुरक्षित देखना चाहती है, लेकिन उसके मन में डर
रहता है कि कुछ बुरा न हो। माँ ने उसे कभी गोद से नहीं उतारा कि कहीं उसे ठण्डक न
लग जाये । जब कभी भी वह पुत्र माँ कहकर पुकार देता था तब वह दौड़कर उसके पास आ
जाती थी |
थपकी दे दे जिसे सुलाया
जिसके लिए लोरियाँ गाईं,
जिसके मुख पर जरा मलिनता
देख आँख में रात बिताई ।
भावार्थ- तीसरा छंद में मां अपने
पुत्र को थपकी दे - देकर सुलाया करती थी । उसके मधुर संगीत की लोरियाँ गाती थी।
उसके चेहरे पर तनिक भी मलिनता या शोक देखकर कवयित्री माँ रात भर सो नहीं पाती थी ।
जिसके लिए भूल अपनापन
पत्थर को भी देव बनाया
कहीं नारियल, दूध, बताशे
कहीं चढ़ाकर शीश नवाया ।
भावार्थ- इस छंद में माँ अपने पुत्र के कल्याण के लिए वह अपने आप को भी भूल जाती
थी । पत्थरों के देवता को वह देवता मानकर पुत्र कल्याण की आकांक्षा कामना रखती थी
। नारियल , दूध और बताशे भगवान को अर्पित करती थी । कहीं सिर झुकाकर देवता को
प्रणाम करती थी ।
फिर भी कोई कुछ न कर सका
छिन ही गया खिलौना मेरा
मैं असहाय विवशं बैठी ही
रही उठ गया छौना मेरा ।
भावार्थ- इस छंद में माँ कहती है बेटे की मृत्यु के बाद
उसके प्राण कोई लौटा नहीं पाया । कवयित्री माँ हारकर बैठ गयी । उनका शिशु बालक इस
धरती से उठ गया ।
तड़प रहे हैं विकल प्राण ये
मुझको पल भर शांति नहीं है
वह खोया धन पान सकूँगी
इसमें कुछ भी भ्रांति नहीं है ।
भावार्थ- इस छंद में कवयित्री
माँ को पल भर की शान्ति नहीं मिल रही है । उसके प्राण विकल हैं, परेशान हैं । माँ
का धन उसका बेटा आज खो गया है । उसे वह अब कभी पा नहीं सकेगी ।
फिर भी रोता ही रहता है
नहीं मानता है मन मेरा
बड़ा जटिल नीरस लगता है
सूना सूना जीवन मेरा ।
भावार्थ- इस छंद में मां की अकेली
जिंदगी का अभिव्यक्ति करता है| अब माँ का जीवन जटिल हो गया है । माँ नीरसता में अब
जी रही है । उसका जीवन अब सूना - सूना हो गया है ।
यह लगता है एक बार यदि
पल भर को उसको पा जाती
जी से लगा प्यार से सर
सहला सहला उसको समझाती ।
भावार्थ- इस छंद में मां की
बेचैनी को और गहराई से अभिव्यक्त करता है। माँ कहती है यदि एक बार वह पुत्र जीवित
हो जाता है तो उसे जी से लगाकर प्यार करती । उसके सिर को सहला-सहला कर उसे समझाती
।
मेरे भैया मेरे बेटे अब
माँ को यों छोड़ न जाना
बड़ा कठिन है बेटा खोकर
माँ को अपना मन समझाना ।
भावार्थ- इस छंद में मां का
प्रेम और उसके बेटे के वियोग का दर्द दिखाता है। बेटे को पाने के बाद कवित्री अपने
बेटे को समझाती कि ऐ मेरे प्यारे बेटे ! तुम कभी माँ को छोड़कर न जाना । संसार में
बेटा को खोकर माँ का जीवन जीना आसान काम नहीं है ।
भाई-बहिन भूल सकते हैं
पिता भले ही तुम्हें भुलावे
किंतु रात-दिन की साथिन माँ
कैसे अपना मन समझावे !
भावार्थ- अंतिम छंद में मां का
अनंत प्रेम का वर्णन करता है, जो उसके बेटे के वियोग
के बावजूद भी अटूट है। पारिवारिक जीवन में भाई-बहन को भूला जा सकता है । पिता
पुत्र को भुलाने की कोशिश कर सकता है परन्तु रात-दिन की साथिन माँ अपने बेटे के
बिना नहीं जी सकती है ।
पुत्र-वियोग सारांश
"पुत्र-वियोग"
कविता माँ के पुत्र के साथ अनुभव की गहराई को उजागर करती है और उसके प्रेम की
अद्वितीय भावनाओं को व्यक्त करती है। यह एक भावनात्मक सफर है जो माँ को उसके पुत्र
के वियोग की चुनौतियों और दुख के साथ सामना करते हुए दिखाता है। प्रत्येक स्तंज के
माध्यम से, कविता माँ की असीम प्रेम और विश्वास को बयान करती है, जो उसके पुत्र के
साथ होने की अभिलाषा को दर्शाता है।
कविता के प्रारंभिक स्तंज
में, माँ का अविचल प्रेम और उत्साह दिखाया गया है, जब वह अपने पुत्र
की मिलन की आस में होती है। उसकी आशा और उम्मीद उसके चेहरे पर प्रकट होती हैं, लेकिन उसकी दुःख
और उत्सुकता उसके बेटे के अभाव के कारण भी प्रकट होती है। जैसे कविता आगे बढ़ती है, माँ के अनुभव की
गहराई और उसके पुत्र के वियोग के दुख का वर्णन किया जाता है। उसकी अद्भुत भावनाएं
और विचलित मन का वर्णन किया जाता है, जो उसके पुत्र के अभाव के साथ उसकी दिनचर्या को
अविरल बना देते हैं। कविता के अंत में,
माँ की प्रतीक्षा, आशा और
अप्रत्याशित अपने पुत्र के साथ होने की इच्छा को बयान किया गया है, जो उसके प्रेम की
सबसे ऊंची उपासना है।
Putr Viyog (पुत्र वियोग) Objective
Questions
1. सुभद्रा जी का जन्म कब हुआ था?
a) 1904
b) 1903
c)
1905
d) 1902
2. कवयित्री खुद को असहाय क्यों कहती है?
a)पति
के वियोग के कारण
b)पुत्र के वियोग के कारण
c)भाई
के वियोग के कारण
d)बहन
के वियोग के कारण
3. सुभद्रा जी की मृत्यु का क्या कारण था ?
a) महामारी
b) कार दुर्घटना
c)
फाँसी
d) गोली
4. सुभद्रा कुमारी चौहान की लिखी कविता कौन-सी है?
a)प्यारें
नन्हें बेटे को
b)पुत्र वियोग
c)हार
जीत
d)गाँव
का घर
5. माँ के लिए अपने मन को समझना कब कठिन हो जाता है?
a)धन
नष्ट होने पर
b)पिता
की मृत्यु पर
c)पुत्र की मृत्यु पर
d)पति
के मृत्यु पर
6.
इनमें से कौन-सी
रचना सुभद्रा जी की नहीं है ?
a) मुकुल
b) बिखरे मोती
c)
त्रिधारा
d) दीपशिखा
7. सुभद्रा कुमारी चौहान का खिलौना क्या है?
a)पति
b)बेटा
c)बहन
d)भाई
8. सुभद्रा जी को हिन्दी साहित्य सम्मेलन का सेक्सरिया पुरस्कार उनकी किस रचना पर
मिला था?
a) मुकुल
b) त्रिधारा
c)
बिखरे मोती
d) समर के खेल
9. माँ ने किसके भय से अपने लाल को गोद से नहीं उतारा था?
a) मिट्टी लगने के भय से
b) कीड़ों के भय से
c) शीत के डर से
d) गिर पड़ने के डर से
10.
पुत्र वियोग से माँ
का जीवन कैसा हो गया है ?
a) उदास
b) व्यथित
c)
पीड़ामय
d) सूना-सूना
11. “कुली प्रथा” किसकी कृति है?
a)सुभद्रा
कुमारी चौहन
b)रघुवीर
सहाय
c)ठाकुर लक्ष्मण सिंह
d)ठाकुर
बलवान सिंह
12. माँ पुत्र की किस प्रकार की साथिन है ?
a) प्यार भरी
b) संरक्षिका
c) रात-दिन की
d) ममतामयी
13. सुभद्रा कुमारी चौहान की वर्ग की कवयित्री मणि जाती है?
a)राष्ट्रीय भाव धारा
b)भक्ति
भाव धारा
c)इनमे
से कोई नहीं
14. “मुकुल” त्रिधारा आदि
सुभद्रा कुमारी चौहान की कैसी कृतियाँ हैं?
a)काव्य कृतियाँ
b)नाट्य
कृतियाँ
c)कहानी-संग्रह
d)एकांकी-संग्रह
15. “बिखरे मोती, सभा के खेल” सुभद्रा
कुमारी चौहान की कौन सी कृति है?
a)कहानी-संग्रह
b)उपन्यास
c)संस्मरण
d)आलोचना
16. सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कहाँ हुआ था?
a)इलाहबाद, उत्तर प्रदेश
b)बनारस, उत्तर प्रदेश
c)बेगुसराई,
बिहार
d)दरभंगा, बिहार
17.
“छोड़ काम दौड़ कर आई माँ कहकर जिस समय पुकारा” किस पाठ से लिया गया है?
a)हार
जीत
b)अधिनायक
c)कड़बक
d)पुत्र वियोग
18. “पुत्र वियोग” शीर्षक कविता किस काव्य संग्रह से ली गई है?
a)चित्राधार
b)मुकुल
c)दीपशिखा
d)लहर
19. सुभद्रा कुमारी चौहान किस पार्टी से एम.एल.ए.थे?
a)समाजवादी
पार्टी
b)कांग्रेस पार्टी
c)भारतीय
जनता पार्टी
d)इनमे से कोई नहीं
20. सुभद्रा कुमारी चौहान के पिता का नाम क्या था?
a)ठाकुर
राजनाथ सिंह
b)ठाकुर हरिनाथ सिंह
c)ठाकुर रामनाथ सिंह
d)ठाकुर जगमोहन सिंह
21. सुभद्रा कुमारी चौहान के पति का क्या नाम था?
a)ठाकुर लक्ष्मण सिंह
b)ठाकुर मनमोहन सिंह
b)ठाकुर
बसंत सिंह
d)ठाकुर कुमार सिंह
22. सुभद्रा कुमारी चौहान अपनी पढाई छोड़कर किस आन्दोलन
में सक्रिय भूमिका निभाने लगी?
a)भरता
छोड़ो आन्दोलन
b)दिल्ली आन्दोलन
c)असहयोग आन्दोलन
d)इनमे से कोई नहीं
Putr Viyog (पुत्र वियोग) Question Answer
1.
कवयित्री का खिलौना क्या है?
उत्तर- कवयित्री
का खिलौना उसका बेटा है| बच्चों को खिलौना प्रिय होता है| उसी प्रकार कवयित्री मां
के लिए उसका बेटा उसके जीवन का सर्वोत्तम उपहार है| इसलिए वह कवयित्री का खिलौना
है|
2.
कवयित्री स्वयं को असहाय और विवश
क्यों कहती हैं?
उत्तर- कवयित्री
स्वयं को असहाय तथा विवश इसलिए कहती है कि उसने अपने बेटे की देखभाल तथा उसके
लालन-पालन पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया| अपनी सुविधा और असुविधा का कभी विचार
नहीं किया| बेटे को ठंढ ना लग जाए बीमार न पड़ जाए इसलिए सदैव उसे गोदी में रखा|
इस सारी सुविधाओं तथा मंदिर में पूजा अर्चना से मां अपने बेटे की असमय मृत्यु नहीं
टाल सकी| अतः वह खुद को असहाय और बेबस माँ कहती है|
3.
पुत्र के लिए मां क्या-क्या करती है?
उत्तर- पुत्र के
लिए मां निजी सुख-दुख भूल जाती है| उसे अपनी सुख-सुविधा के विषय में सोचने की
अवकाश नहीं रहता| वह बच्चे के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का पूरा ध्यान रखती है| बेटा
को ठंड ना लग जाए अथवा बीमार न पड़ जाए इसके लिए उसे सदैव गोद में लेकर उसका
मनोरंजन करती रहती है| उसे लोरी गीत सुनाकर सुलाती है| उसके लिए मंदिर में जाकर
पूजा-अर्चना करती है तथा मन्नते मानती है
4.
अर्थ के स्पष्ट करें-
आज दिशाएं भी
हंसती है
है उल्लास विश्व पर छाया
मेरा खोया हुआ खिलौना
अब तक मेरे पास ना आया
उत्तर- कवयित्री के पुत्र का निधन हो गया है| इस प्रकार हुआ वह उससे (कवयित्री)
छिन गया है| या उसकी व्यक्तिगत क्षति है| विश्व के अन्य लोग हर्षित हैं| सभी
दिशाएं भी उल्लासित दिख रही है| कितू कवयित्री ने अपना बेटा खो दिया है| उसकी
मृत्यु हो चुकी है| वह शोक में डूबी हुई है| अपनी असंयमित मनोदशा में वह बेटे के वापस आने की प्रतीक्षा
करती है और नहीं लौट कर आने पर निराश हो जाती है|
5.
मां के लिए अपना मन समझा ना कब कठिन
है, और क्यों?
उत्तर- मां के
लिए अपने मन को समझाना तब कठिन हो जाता है जब वह अपना बेटा खो देती है| बेटा मां
की अमूल्य धरोहर होता है| बेटा मां की आंखों का तारा होता है| मां का सर्वस्व यदि क्रूर नियति द्वारा उसे छीन लिया जाता है
उसके बेटे की मृत्यु हो जाती है तो मां के लिए अपने मन को समझाना कठिन होता है|
6.
पुत्र को “छौना” कहने से क्या
भाव हुआ है इसे बताइए?
उत्तर- छौना का
अर्थ होता है हिरन आदि पशुओं का बच्चा
पुत्र वियोग शीर्षक कविता में कवयित्री ने छौना
शब्द का प्रयोग अपने बेटे के लिए किया है| हिरण का बच्चा बड़ा भोला तथा
सुंदर दिखता है| इसके अतिरिक्त चंचल तथा तेज भी होता है| अतः कवित्री द्वारा अपने
बेटे को छौना कहने के पीछे यह विशेष अर्थ भी हो सकता है|

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