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ओ सदानीरा जगदीशचंद्र माथुर || Bihar Board Class 12th Hindi

 

ओ सदानीरा

जगदीशचंद्र माथुर

जगदीशचंद्र माथुर का परिचय

1.    जन्म-16 जुलाई 1917 निधन- 14 मई 1978

2.    जन्म स्थान- शाहजहाँपुर उत्तरप्रदेश

3.    शिक्षा- एम.ए (अंग्रेजी) इलाहाबाद विश्वविद्यालय | 1941 में आई. सी. ए परीक्षा उत्तीर्ण | प्रशिक्षण के लिए अमेरिका गए और बाद में शिक्षा सचिव हुए |

4.    सम्मान विद्या वारिधि की उपाधि से विभूषित, कालिदास अवार्ड और बिहार राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित।

5.    कृतियाँ- मेरी बांसुरी, भोर का तारा, ओ मेरे सपने, कोणार्क, बंदी, शारदीया, पहला राजा, दशरथ नन्दन, कुंवर सिंह की टेक, गगन सवारी, दस तस्वीरें।

ओ सदानीरा पाठ का सारांश  

‘ओ सदानीरा’ चंपारण के उस विस्तृत भू-भाग, जो बिहार के उत्तर-पश्चिम कोण पर स्थित है , की गौरवशाली गाथा का इतिहास अपने अन्तर में समेटे हुए है । यह पलाश , साल एवं अन्य वृक्षों की छाया में , लाज से सिकुड़ी सिमटी नदियों से अपनी तृष्णा की तृप्ति कर रहा है । मानव - मन की क्रूरता ने इसकी सुषमा का भरपूर शोषण किया है । लेखक इस क्षेत्र के वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से क्षुब्ध है । वन नंगे हो गये हैं । विकास की दौड़ एवं भूमि के अपहरण ( भवन निर्माण ) तथा ट्रैक्टर की जुताई द्वारा सरसलिला नदियों को श्रीहीनकर दिया है । चंपारण की पावन भूमि कभी गौतम बुद्ध की कर्मस्थली और भगवान वर्द्धमान महावीर की जन्मस्थली रही है । कालान्तर में बाहर से अनेक आक्रमणकारी तथा अन्य प्रदेशों से अनेक जातियाँ आयीं और बस गयीं । विभिन्न संस्कृतियों का यह संगम स्थल भी है । नीलहे गोरों ( साहब ) द्वारा शोषण का यह गवाह भी है । महात्मा गाँधी के पावन चरण यहाँ पड़े थे । उनके द्वारा यहाँ के जनसमुदाय को उत्पीड़न से मुक्ति मिली थी । गाँधीजी द्वारा स्थापित बड़हरवा , मधुवन और मितिहरवा आश्रम ने वहाँ के जन - जीवन को नवजीवन दिया है । अनेक बौद्धों एवं जैन तीर्थस्थल , स्तूपों एवं स्मारकों , स्तम्भों से चंपारण का चप्पा - चप्पा भरा हुआ है । सम्राट अशोक का लौरिया नन्दनगढ़ का सिंह स्तम्भ अपने शिलालेख द्वारा उस समय की शासन व्यवस्था का दस्तावेज है । पतित पावनी गंडक नदी चंपारण की भूमि को अपने स्पर्श से पवित्र करती रही है । हिमालय की तराई से चलकर सोनपुर के हरिहर क्षेत्र तक गंडक के किनारे पर अनेक तीर्थों के अवशेष एवं समाधियाँ बिखरी पड़ी हैं । भैंसालोटन के निकट वाल्मीकिनगर में रामायण के प्रणेता महर्षि वाल्मीकि का आश्रम है । अब यही भैंसालोटन जंगल के बीच नवीन जीवन केन्द्र के निर्माण का आधुनिक तीर्थस्थल बन गया है । भारतीय इंजीनियर गंडक घाटी योजना के अन्तर्गत एक सौ बीस मील लम्बी पश्चिम नहर तथा 55 मील लम्बी पूर्वी नहर के निर्माण कार्य में संलग्न हैं । वहीं ( भैंसालोटन ) लगभग 3000 फुट लम्बा बैराज बन रहा है , जिसके ऊपर रेल एवं सड़क संभावित है । कुल 41.49 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई इन नहरों द्वारा होगी । लेखक गंडक घाटी योजना द्वारा निर्मित नहर तथा बैराज के गर्भ में विकास की अलौकिकीकरण का दर्शन कर रहा है । नगरों में उसे नारायण की भुजाओं के दर्शन हो रहे हैं और उस गज और ग्राह के युद्ध का यहीं पर अन्त होता दिख रहा है । ( इसी स्थान से गज और ग्राह की लड़ाई शुरू हुई थी ) । नहरों तथा बैराज के अभूतपूर्व निर्माण , जिसे लेखक भगवान् का नृत्य विराट् रूप कहता है - इंजीनियरों , विश्वकर्मियों तथा मजदूरों का नमन ( नमस्कार ) करता है । नये तीर्थ स्थल मूर्तियों एवं भग्न मन्दिरों में प्राण का संचार करेंगे अर्थात् इन नहरों तथा बैराज का जल लाखों एकड़ जमीन का सिंचनकर उसे उर्वर एवं शस्य - श्यामला बना देगा । अन्त में लेखक परम - पावनी गंडक को ओ सदानीरा ! ओ चक्रा ! ओ नारायणी ! ओ मत गंडक ! आदि अनेक नामों से सम्बोधित करते हुए कहता है कि दीन - हीन जनता इन नामों से तो गुणगान करती रही है , किन्तु तेरी निरंतर - चंचल धारा ने सदा उनके पुष्पों एवं तीर्थों को ठुकरा दिया अर्थात् तेरी बाढ़ उन्हें संत्रस्त करती रही , उनके भवनों एवं संपत्ति को नष्ट करती रही , किन्तु आज तेरे पूजन के लिए जिस मन्दिर की प्रतिष्ठा हो रही है , उसकी नींव बहुत गहरी है , वह शीघ्र नष्ट नहीं हो पायेगी । अर्थात् गंडक के ऊपर जो बैराज और नहर बनी है , उसकी नींव की दीवार बहुत गहरी तथा मजबूत है । गंडक नदी का तीव्र प्रवाह भी उसे तोड़ नहीं सकता। -

ओ सदानीरा Objective Question

1.     जगदीशचन्द्र माथुर का जन्म कब हुआ था?
a) 1917
b) 1918
c
) 1920
d) 1921

2.     बिहार में शरणार्थी कहाँ से आये थे?
a) पंजाब
b) सिन्ध
c
) पूर्वी बंगाल
d) नेपाल

3.     नववधू जब पहली बार अपने पति को कलेऊ देने जाती है तब उसके सिर पर क्या होता है?
a) चूना
b) शाल
c
) पीढ़ा
d) लोटा

4.     माथुर जी के किस एकांकी का मंचन 1936 . में हुआ था?
a)मेरी बांसुरी
b)मोर का तार
c)
रीड की हड्डी
d)दस तस्वीरें

5.     मेरी बांसुरी एकांकी का किस पत्रिका में प्रथम प्रकाशन हुआ था?
a)सरस्वती
b)ज्ञानकोश 
c)भारत-भारती
d)गंगा

6.     पुंडलिक जी कौन है?
a)किसान
b)नेता
c)अभिनेता
d)शिक्षक

7.     जगदीश चन्द्र मूलतः क्या है?
a)कहानीकार
b)निबंद्कर
c)उपन्यासकार
d)नाटककार  

8.     जगदीश माथुर को कौन सा अवार्ड मिला था?
a)तुलसीदास अवार्ड
b)सूरदास अवार्ड 
c)कालिदास अवार्ड
d)कबीरदास अवार्ड

9.     ‘ओ सदानीरा’ के लेखक कौन है?
a)रघुवीर सहाय
d)भगत सिंह
c)जगदीशचंद्र
d)मलिक मुहम्मद  

10.   माथुर जी को किस सम्मान से सम्मानित किया गया था?
a)पश्चिम बंगाल राज्य भाषा पुरस्कार       
b)
पंजाब राज्य
b)
बिहार राजभाषा पुरस्कार
d)तुलसीदास अवार्ड

11.   ओ सदानीरा किस नदी को निमित्त बनाकर लिखा गया है?
a)गंगा
b)गंडक
c)यमुना
d)इनमे से कोई नहीं

12.   चम्पारण में गाँधी जी ने कब अपना अभियान चलाया था?
a) सन् 1916 में
b) सन् 1917 में
c) सन् 1918 में
d) सन् 1920 में

13.   चम्पारण अभियान का सबसे बड़ा वरदान क्या था?
a) साहस
b) निर्भीकता
c) संघर्षशीलता
d) देशाभिमान

14.   बिहार का कौन-सा विशाल स्तूप प्राचीन स्थापत्य की अभूतपूर्व कृति है?
a) नन्दनगढ़
b) चम्पारण
c
) भागलपुर
d) देवबन्द

15.   माथुर जी को किस उपाधि से विभूषित किया गया है?
a)विद्या वारिधि
b)विद्यासागर
c)
विद्या रतन
d)विद्या भूषण  

16.   ओ सदानीरा' शीर्षक पाठ के लेखक कौन हैं?
a) मोहन राकेश
b) उदय प्रकाश
c
) जगदीशचन्द्र माथुर
d) नामवर सिंह

17.   चंपारण क्षेत्र में बाढ़ का मुख्य कारण क्या है?
a)बारिश का होना
b)बारिश का न होना
a)जंगलों की कटाई
d)खेती बारी  

18.   माथुर जी के निबंध कैसे हैं?
a)
ललित
b)जटिल
c)
सरल
d)असाधारण

19.   ओ सदानीरा निबंध बिहार के किस क्षेत्र की संस्कृति पर लिखी गई है?
a)दरभंगा
b)पटना
c)बेगुसराई
d)चंपारण

ओ सदानीरा Question Answer

1.     चम्पारन क्षेत्र में बाढ़ की प्रचण्डता के बढ़ने के क्या कारण हैं?
उत्तर- चंपारण क्षेत्र में बाढ़ का प्रमुख कारण जंगलों का कटना है| जंगल के वृक्ष जल राशि को अपनी जड़ों में थामे रहते हैं| नदियों को उन्मुक्त नवयौवन बनाने से रोकते हैं| उत्ताल वृक्ष नदी की धाराओं की गति को भी संतुलित करने का काम करती हैं| यदि जल राशि नदी की सीमाओं से ज्यादा हो जाती तब बाढ़ आती ही है लेकिन जब बीच में उसकी शक्ति को ललकारने  वाले यह गगनचुंबी वैन न हो तब नदिया प्रचण्ड कालीका रूप धारण कर लेती है|

2.     इतिहास की कीमिआई प्रक्रिया का क्या आशय है?
उत्तर- कीमिआई प्रक्रिया ऐसी प्रक्रिया है , जिसके माध्यम से पारे को सोने में बदला जाता है फिर पारे को कुछ विलेपनों के साथ उच्च ताप पर गर्म किया जाता है । पाठ के संदर्भ में लेखक कहना चाहता है कि जिस प्रकार पारा जब कुछ विलेपनों के साथ गर्म करके एक दूसरे प्रकार का पदार्थ बन जाता है , ठीक उसी प्रकार दक्षिण से आयी दसर्वी संस्कृति और रक्त यहाँ आकर यहाँ की संस्कृति में घुल - मिल गया तथा एक मिश्रित संस्कृति का रूप लेकर एक नया आकार ले बैठी । यही है इतिहास की कीमिआई।

3.     धांगड़ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर- यह ओरॉव भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है - भाड़े का मजदूर । यह धाँगड़ एक आदिवासी जाति भी है । इसको नीलहे अंग्रेज मजदूरी और नील की खेती करने हेतु, 18वीं शताब्दी में दक्षिणी बिहार के छोटा नागपुर पठार से यहाँ ( चम्पारण ) लाये थे । धाँगड़ जाति आदिवासी जातियों - ओरॉव , मुण्डा , लोहार इत्यादि के वंशज हैं , पर ये अपने आपको आदिवासी मानने को तैयार नहीं हैं । धाँगड़ जाति के व्यक्ति मिश्रित ओरॉव भाषा में ही बात करते हैं । निबन्ध के अनुसार धाँगड़ों का सामाजिक जीवन बेहद उल्लासपूर्ण है । इस जाति के नर - नारी संध्या के समय मन्द प्रकाश में सामूहिक नृत्यों का आयोजन भी करते हैं ।

4.     थारुओं की कला का परिचय पाठ के आधार पर दीजिये ।
उत्तर- थारुओं की कला मूलतः उनके दैनिक जीवन का अंग है । जिस पात्र में धान रखा जाता है , वह सीकों से बनाया जाता है , उसकी कई रंगों के द्वारा डिजाइन बनायी जाती है । सींक की रंग - बिरंगी टोकरियों के किनारे सीप की झालर लगी होती है । दीपक जो प्रकाश बिखेरता है उसकी आकृति भी कलापूर्ण होती है । शिकारी किसान के काम के लिये जो पदार्थ मूंज से बनाये जाते हैं , वहाँ भी सौन्दर्य और उपयोगिता का विलक्षण मिश्रण रहता है । उनके यहाँ नववधू जब प्रथम बार खेत पर खाना लेकर अपने पति के पास जाती है उस समय का दृश्य बड़ा कलात्मक होता है । वह अपने मस्तक पर एक पीढ़ा रखती है , जिसमें तीन लटें वेणियों की भाँति लटकी रहती हैं । प्रत्येक लट में धवल सीपों और एक बीज विशेष के सफेद दाने पिरोये रहते हैं । पीढे के ऊपर सींक की कलापूर्ण टोकरी में भोजन रहता है । टोकरी को दोनों हाथों से सँभाल , जब वह लाजभरी , सुहाग भरी धीरे - धीरे खेत की ओर पग बढ़ाती है , तो सीप की वेणियाँ रजत कंकण की भाँति झंकृत हो उठती हैं और सारे गाँव को पता चल जाता है - वधू अपने प्रियतम को कलेवा कराने जा रही है ।

5.     अंग्रेज नीलहे किसानों पर क्या अत्याचार करते थे ?
उत्तर- अंग्रेज निलहे किसानों पर बहुत से अत्याचार करते थे| किसानों से जबरदस्ती नील की खेती करवाई जाती थी| उन्हें कुल भूमि की एक निश्चित भारत पर नील की खेती करने के लिए बाध्य किया गया तथा बाद में इसे मुक्त करने के लिए मोटी  रकम ली गई| इन गोरे ठेकेदारों ने बहुत कम अदायगी में हजारों एकड़ जमीन ले ली| इसके अतिरिक्त किसानों को कई तरह के कर तथा नजराने भी देने पड़ते थे|

6.     गंगा पर पुल बनाने में अंग्रेजों ने क्यों दिलचस्पी नहीं ली?
उत्तर- गंगा पर पुल बनाने में अंग्रेज में इसीलिए दिलचस्पी नहीं ली ताकि दक्षिण बिहार के बागी विचारों का असर चंपारण में देर से पहुंचे| इस तरह चंपारण पर बरसों तक ब्रिटिश साम्राज्य की छत्रछाया वाला शासन चलता रहा।

7.     चम्पारण में शिक्षा की व्यवस्था के लिए गाँधी जी ने क्या किया?
उत्तर- चंपारण में शिक्षा की व्यवस्था के लिए गांधीजी ने अनेकों काम किए| उनका विचार था कि ग्रामीण बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था किए बिना केवल आर्थिक समस्याओं को सुलझाने से काम नहीं चलेगा| इसके लिए उन्होंने तीन गांव में आश्रम विद्यालय स्थापित किया ये है बरहरवा मधुवन और भितिहारवा।

8.     गाँधी जी के शिक्षा सम्बन्धी आदर्श क्या थे ?
उत्तर - गाँधी जी तत्कालीन शिक्षा पद्धति से सहमत नहीं थे , उनका जो पत्र चम्पारण के कलक्टर के नाम था , उसी से उनके शिक्षा सम्बन्धी आदर्श स्पष्ट हो जाते हैं । गाँधी जी पुरानी लोक के पक्षपाती नहीं थे और वर्तमान शिक्षा पद्धति को बड़ा खौफनाक और हेय मानते थे । उनका आदर्श था बच्चों में चरित्र और बौद्धिक विकास - कारण वर्तमान पद्धति बच्चों को बौना बनाती है , उनका ध्येय था वर्तमान शिक्षा पद्धति के दोषों से बचकर मात्र उसके गुणों का ग्रहण । उनका उद्देश्य था बच्चे ऐसे पुरुष और महिलाओं के सम्पर्क में आये जो सुसंस्कृत हों , जिनका चरित्र निष्कलुष हो । गाँधी जी की वास्तविक शिक्षा यही थी - ज्ञान , चरित्र एवं बौद्धिक विकास । विद्यालयी शिक्षा तो उसका माध्यम मात्र है । जीविका हेतु जो बालक नए साधन सीखना चाहते हैं उनके लिए औद्योगिक शिक्षा की भी व्यवस्था रहेगी । यह भी नहीं है कि शिक्षा प्राप्ति के उपरान्त बालक अपने परम्परागत व्यवसाय का परित्याग कर दे । वे जो भी ज्ञान विद्यालय में प्राप्त करेंगे उसके माध्यम से ग्रामांचल में कृषि , व्यवसाय आदि को उन्नत बनाने का प्रयास करेंगे ।

9.     पुंडलीक जी कौन थे?
उत्तर- ये भितिहरवा विद्यालय में शिक्षक थे । सन् 1917 में इन्हीं पुंडलीक जी को गाँधी जी ने बेलगाँव से बुलाया था भितिहरवा आश्रम की व्यवस्था देखने और शिक्षा देने हेतु । उनको यह भी काम सौंपा गया था कि ग्रामवासियों के दिल से भय भी दूर किया जाये । वे वहाँ एक वर्ष रहे फिर अंग्रेजी सरकार ने उन्हें जिले से निर्वासित कर दिया । लेकिन इतना समय बीत जाने पर भी तीन साल में अपने पुराने स्थान को देखने को आ जाया करते थे । उनके शिष्य भी मौजूद थे , वृद्ध हो चले हैं । किन्तु पुंडलीक का तेजस्वी व्यक्तित्व , बलिष्ठ शरीर , दबंग आवाज थी । उनका समर्पण भी पूरा - पूरा था ।

10.   यह पाठ आपके समक्ष कैसे प्रश्न खड़ा करता है ?
उत्तर- यह पाठ हमारे सामने कई प्रश्न खड़े कर देता है - प्रकृति का दोहन , जंगल काटे गये , बेशुमार काटे गये और परिणाम सामने आया - बाढ़ , दलदल और गाँवों की बर्बादी । मानव छोटे हित के सामने व्यापक हित कूड़ेदान में फेंक देता है और नीलकोठी के अंग्रेजों और उनके भीषण अत्याचार सह गये क्यों ? मात्र स्वार्थ और संगठित शक्ति के अभाव में उन्होंने झोंपड़िया जला दी लोभ के लिये और फिर उन्हीं की सेवा में जुट गये । गाँधी जी का आगमन एक वरदान बना और यह भी सत्य है कि यह चम्पारण ही था जिसने महात्मा गाँधी को गाँधी बना दिया और उनके सारे गुणों को उजागर कर उन्हें महात्मा गाँधी बना दिया । बौद्ध स्तूप , मठ हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं उनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है - हमारी सांस्कृतिक विरासत मिटती जा रही है । गंडक की तबाही भी हमें हिला देती है यह हमारी अकर्मण्यता का प्रतिफल है । सामूहिकता के अभाव का कुफल है । उस योजना बन सकती पर सोचा ही नहीं गया ।

11.   चौर और मन किसे कहते हैं ? वे कैसे बने और उनमें क्या अन्तर है ?
उत्तर- चम्पारण में गण्डक नदी के दोनों ओर विभिन्न आकृतियों के ताल बने हुए हैं । ये ताल कहीं उथले हैं और कहीं गहरे । ये सभी ताल टेढ़े - मेढ़े हैं । इन तालों में निर्मल जल भरा हुआ है । इन तालों को ही चौर और मन कहते हैं । जो उथले ताल होते हैं , उन्हें चौर कहा जाता है । चौरों में गर्मियों व सर्दियों में पानी कम हो जाता है । इसके विपरीत विशाल व गहरे तालों को मन कहा जाता है । इनके द्वारा खेती भी की जाती है ।

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