कवित्त
भूषण
भूषण
का परिचय
1.
जीवनकाल : (1613-1715)
2.
जन्मस्थान : टिकवापुर कानपुर उत्तरप्रदेश
3.
पिता : रत्नाकर त्रिपाठी
4.
उपनाम : कवि भूषण (चित्रकूट के सोलंकी राजा
रुद्रसाह द्वारा इन्हें ‘कवि भूषण’ की उपाधी प्राप्त)
5.
आश्रयदाता : छत्रपति शिवाजी, शिवाजी के पुत्र शाहजी और पन्ना के बुंदेला राजा छत्रसाल
6.
विशेष :- रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि चिंतामणि
त्रिपाठी और मतिराम भूषण के भाई के भाई के रूप में जाने जाते हैं।
7.
कृतियाँ : शिवराज भूषण, शिवा बावनी,
छत्रसाल दशक, भूषण हजारा,
भूषण उल्लास, दूषण उल्लास,
8.
यह रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि हैं इनका हिंदी जनता
में बहुत सम्मान है। यह एक वीर रस के कवि हैं।
कवित्त कविता
(1)
इंद्र जिमि जंभ पर बाड़व
ज्यौं अंभ पर,
रावन सदंभ पर रघुकुल
राज है ।
पौन बारिबाह पर संभु रतिनाह पर,
ज्यौं सहस्रबाहु पर
राम द्विजराज है ।
दावा द्रुम-दंड पर चीता मृग-झुंड पर,
भूषन बितुंड पर जैसे
मृगराज है ।
तेज तम अंस पर कान्ह जिमि कंस पर,
यौं मलेच्छ बंस पर
सेर सिवराज है ।
पाठ का सारांश
पद-1
का सारांश
कवि भूषण कहते हैं कि इन्द्र जिस तरह जंभ पर भारी
पड़ते हैं और समुद्र की आग जल पर भारी पड़ती है , उसी तरह रावण जैसे दंभी पर
रघुकुल के स्वामी राम भारी पड़ते हैं । पवन जल पर भारी पड़ता है उसी तरह शिव
कामदेव पर और परशुराम जिस तरह सहस्रबाहु अर्जुन पर भारी पड़ते हैं , उसी परशुराम
पर राम भारी पड़ते हैं । जिस तरह जंगल की आग वृक्षों पर भारी पड़ती है , चीता मृग
के झुंड पर भारी पड़ता है उसी प्रकार कविवर भूषण अन्य कवियों पर भारी पड़ता है ।
हाथी पर जैसे मृगराज सिंह भारी पड़ते हैं । सूर्य का प्रकाश जिस तरह अंधकार पर भारी
पड़ते हैं और उसी प्रकार कृष्ण कंस पर भारी पड़ते हैं । उसी प्रकार मुसलमानों पर
हमारे शेर शिवाजी भारी पड़ते हैं ।
(2)
निकसत म्यान ते मयूखै, प्रलै-भानु कैसी,
फारै तम-तोम से
गयंदन के जाल को ।
लागति लपकि कंठ बैरिन के नागिनि सी,
रुद्रहि रिझावै दै
दै मुंडन की माल को ।
लाल छितिपाल छत्रसाल महाबाहु बली,
कहाँ लौं बखान करौं
तेरी करवाल को ।
प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि,
कालिका सी किलकि
कलेऊ देति काल को ।
पद -2 का सारांश
कविवर भूषण । कहते हैं कि छत्रसाल की म्यान से
निकली तलवार सूर्य की प्रखर किरणों के समान प्रखर है । जैसे सूर्य की किरणें
अंधकार को मिटा देती है उसके जाल को निष्प्रभ कर देती हैं , छत्रसाल की तलवार
नागिन के समान अपने शत्रुओं पर वार लपक लपक कर करती है । ऐसी प्रतीति होती है कि
भगवान शिव को मुंडन की माला दे दे मना रही हो । वैसे छत्रसाल जो पृथ्वीचालक हैं
बाहुबली हैं । आपकी तलवार का बखान कहाँ तक करूँ । आपकी तलवार दुश्मनों को ऐसे
काटती है , मानो कलिका को कलेवा चढ़ाया जा रहा है ।
कवित्त Objective Question
1. भूषण का जन्म कब हुआ था ?
a) 1610 ई.
b) 1613 ई .
c) 1618 ई.
d) 1617 ई
2. भूषण की लिखी कविता कौन सी है?
a)पद
b)छप्पय
c)कवित्त
d)पुत्र वियोग
3.
भूषण को ' भूषण '
उपाधि किसने दी थी ?
a) महाराज छत्रसाल ने
b) छत्रपति शिवाजी ने
c) औरंगजेब ने
d) राजा रुद्रसाह ने
4. भूषण के दो नायक कौन कौन थे?
a)शिवाजी और छत्रसाल
b)नंद
और शकातर
c)चन्द्रगुप्त
और चाणक्य
d)इनमे
से कोइ नहीं
5. सहस्रबाहु पर किसका आक्रमण हुआ था ?
a) श्री राम का
b) रावण का
c)) परशुराम का
d) शिवाजी का
6. छत्रसाल की तलवार किसके जाल को फाड़ रही है?
a) शत्रुओं के जाल को
b) गर्यक्ष के जाल को
c) सिंह के जाल को
d) किसी को भी नहीं
7. शिवराजभूषण कृति किसकी है?
a)देव
b)बिहारी
c)भूषण
d)मतिराम
8. कृष्ण ने किस पर आक्रमण किया था?
a) रावण पर
b) सहस्रबाहु पर
c) कंस पर
d) महेन्द्र पर
9. भूषण ने मुख्यतः किस भाषा में रचना की है?
a)उर्दू
b)हिंदी
c)ब्रज
d)अवधी
10. इनमें से कौन भूषण का आश्रयदाता था ?
a) रुद्रसाह
b) जयसिंह
c) शिवाजी
d) बाबर
11. कवि भूषण का प्रथम कवित्त किस ऐतिहासिक पुरुष से सम्बन्धित
है?
(a) तुलसीदास
b) शिवाजी
c) राणा रणजीत सिंह
d)जयशंकर प्रसाद
12. भूषण की धारा के कवि है ?
a)रीतिमुक्त
b)रीती सिद्ध
C)रीतिबद्ध
d)इनमे से कोई नहीं
13. भूषण के कितने भाई थे?
a)2
b)3
c)4
d)5
14. शिवाजी की वीरता का बखान किस कृति
में भूषण ने किया है?
a)भूषण
हजारा
b)छत्रसाल-दशक
c)शिव बवानी
d)भूषण उल्लास
15. भूषण ने समुद्रगिन से किसकी तुलना
की है?
a)छत्रसाल
b)शिवाजी
c)कृष्ण
भगवन
d)इनमे से कोई नहीं
16. महाकाल भूषण हिंदी साहित्य के लिए
किस काल के कवि थे?
a)रीतिकाल
b)बितिकाल
c)सितिकाल
d)जितिकाल
कवित्त
Question Answer
1. शिवाजी की तुलना भूषण ने किन-किन से क्या है?
उत्तर- भूषण ने शिवाजी की तुलना सर्वप्रथम इन्द्र से की है , फिर बड़वाग्नि(समुन्दर की आग से) से की है, रघुकुल राजा राम तथा
पवन और शिव से भी की है । साथ ही उन्हें परशुराम के समान भी बताया गया है । जंगल
की आग, चीता , मृगराज , तेज प्रकाश और कृष्ण से भी उनकी तुलना की गयी है ।
2. शिवाजी की तुलना भूषण ने मृगराज से क्यों की है?
उत्तर - मृगराज जंगल का राजा है पर उसका सामना कोई भी नहीं कर सकता । भूषण
कहते हैं कि गजराज ( हाथी ) विशाल काय है , भारी है , शक्ति भी उसमें बहुत अधिक ही
है , फिर भी वह मृगराज के हाथों मारा जाता है । मृग ( पशु ) समूह बनाकर रहते हैं ,
वह मात्र अकेला होता है , पर वह मृगों के झुण्ड पर अकेला ही काफी होता है उसकी शक्ति
चुस्ती फुर्ती , विलक्षण है । सब कुछ इतना विलक्षण है कि किसी क्षेत्र में भी उसका
सामना करना कठिन होता है । वह सदा विजयी ही रहता है यही विशेषता महाराज शिवाजी की
भी है वह भी महान वीर , रण कौशल निपुण , साहसी , पराक्रमी थे । पूरे इतिहास में वह
ही एकमात्र अपराजित वीर हैं ।
3. छत्रसाल की तलवार कैसी है ? वर्णन कीजिए ।
उत्तर- प्रस्तुत कविता में महाराजा छात्रसाल की तलवार सूर्य की किरणों के समान
प्रखर और प्रचंड है| उनकी तलवार की भयंकरता से शत्रु दल थर्रा उठते हैं| उनकी
तलवार युद्ध भूमि में प्रलयकारी सूर्य की किरणों की तरह म्यान से निकलती है| वह
विशाल हाथियों के झुंड को क्षण भर में काट काट कर समाप्त कर देती है| छात्रसाल की
तलवार ऐसी नागिन की तरह है जो शत्रु के गले में लिपट जाते हैं और मुंडू की भीड़
लगा देती है|
4. नीचे लिखे अवतरणों का अर्थ स्पष्ट करें-
(क) लागति लपकि कण्ठ बैरिन के नागिन सी , रुद्रहि रिझावै दै दे मुंडन की माल
को ।
( ख ) प्रतिभर कटक कटीले केते काटि काटि , कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल को ।
उत्तर- (क) प्रस्तुत पंक्तियाँ भूषण के काव्य छत्रसाल दशक से अवतरित हैं जिनमें
छत्रसाल की तीक्ष्ण तलवार की महिमा का बखान किया जा रहा है । छत्रसाल की तीक्ष्ण
लपलपाती तलवार की प्रशंसा करते हुए भूषण कहते हैं कि यह ( छत्रसाल की तलवार )
तलवार शत्रु के गले में तेज गति से नागिन के समान लिपट जाती है और देखते ही देखते
उसके सिर को धड़ से अलग कर देती है ।
(ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ भूषण द्वारा रचित छत्रसाल दशक से उद्धृत हैं । महाराज
छत्रसाल की तलवार की धार बड़ी पैनी व तेज है । वह कटीले प्रतिपक्षी सैन्य दल के
प्रत्येक योद्धा को काटती चली जा रही है और न जाने कितने वीरों को काट - काट कर
धराशायी कर दिया है । हे छत्रसाल ! तेरी करवाल किलक - किलक कर काल को कलेऊ करा रही
है , उसके आगे ( काल ) मुण्ड को परस रही है ।
5. भूषण रीतिकाल की किस धारा के कवि हैं ? वे अन्य रीतिकालीन
कवियों से कैसे विशिष्ट हैं?
उत्तर - भूषण रीतिकाल की रीति सिद्ध काव्यधारा के कवि हैं । उन्होंने
आचार्यत्व को महत्व नहीं दिया , स्वच्छन्द काव्य रचना की । रीतिकाल की प्रमुख
प्रवृत्तियाँ हैं - शृंगार वर्णन और आचार्यत्व । भूषण इन दोनों ही प्रवृत्तियों से
दूर रहे , रीतिकाल काव्य में राष्ट्रीय चेतना का अभाव ही रहा है । मात्र बिहारी का
एक दोहा मिलता है स्वारथ सुकृतन न श्रम वृथा देखि बिहंग विचारि । बाज पराये पानि
पर तू पच्छनि न मार यदि इसे छोड़ दें तो राष्ट्र की ओर इन कवियों का ध्यान ही नहीं
गया । भूषण ने स्वयं को राष्ट्रभक्त सिद्ध कर दिखाया अत : भले ही वे रीतिकाल के
हैं पर उन प्रवृत्तियों से सर्वथा मुक्त हैं ।

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